जब मैं हिन्दी के सामान्य मनोरंजन चैनलों जैसे सोनी, कलर, जी, लाइफ ओके, स्टार प्लस आदि और अंग्रेजी के सामान्य मनोरंजन चैनलों जैसे AXN, स्टार वर्ल्ड, स्टार वर्ल्ड प्रीमियर एचडी आदि पर आने वाले कार्यक्रमों की तुलना करता हूं तो मुझे बेहद अफसोस होता है कि हमारे टीवी इंडस्ट्री के पास कंटेंट की कितनी भारी कमी है, पिछले कई सालों से इसमें कोई बदलाव नहीं आया है, सभी चैनलों का मुख्य विषय परिवार में कलह, साजिश, अचानक करवट लेती कहानी होती है, सारा घटनाक्रम एक ही घर के अंदर या स्टूडियो के अंदर घटित होता है। मेकअप और भारी गहनों और साड़ियों से लदी साजिश रचती महिलाएं और असहाय से नजर आते पुरुष दिखायी देते हैं।
लेकिन जब मैं AXN या स्टार वर्ल्ड प्रीमियर पर आने वाले कार्यक्रमों को देखता हूं तो मैं खुद भी प्रेरित होता हूं और दूसरों से भी इन कार्यक्रमों को देखने की सिफारिश करता हूं।
अगर रियलिटी शोज की बात करें तो वे सारे विदेशी शोज के रीमेक होते हैं, मुझे नहीं पता है कि हम लोग बिग बॉस जैसे रियलिटी शो क्यों बनाते हैं इससे हमें क्या सीखने को मिलता है और यह किस तरह का मनोरंजन है, इस तरह के शोज को देखना मतलब अपना समय बर्बाद करना है। और भी कई कार्यक्रम है जैसे नागिन, ब्रह्मराक्षस, सुपर कॉप वर्सेज विलेन, उड़ान, ससुराल सिमर का, इत्यादि। अफसोस तब होता है जब ये हिट हो जाते हैं और चैनलों की टीआरपी बढ़ाते हैं। ऐसे कार्यक्रम ने केवल लोगों को भ्रमित करते हैं बल्कि मानसिक तौर पर परेशान भी करते हैं।
यहां पर मैं AXN चैनल के सीरियल Under the Dome की बात करना चाहूंगा, यह भी फैंटसी पर आधारित है जिसमें दिखाया गया है कि अमेरिका के एक छोटे से कस्बे चेस्टर मिल के चारों ओर एक रहस्यमयी पाारदर्शी डोम बन जाता है जिससे उसका संपर्क बाहरी लोगों से कट जाता है, न वे बाहर जा सकते हैं और कोई अंदर आ सकता है, ड्रामा इसमें भी है लेकिन आपको बांधे रखता है, जब मैं इसे देखता हूं तो एड ब्रेक में भी चैनल नहीं बदलता हूं क्योंकि उनकी कहानी एकदम कसी हुई और चुस्त होती है इसमें दर्शकों के आधार पर कहानियों को रोज-रोज तोड़-मरोड़ कर पेश नहीं किया जाता है और जिस बजट में यह बना है उतने में हमारी 3-4 बड़े बजट की फिल्में बन जायेंगी। मैं यहां उनका प्रमोशन या प्रचार नहीं कर रहा हूं मैं बस कंटेट के बारे में बात कर रहा हूं। इस सीरियल के केवल 13 एपीसोड है और इसके 3 सीजन हैं यानि कुल 39 एपीसोड्स। और भी कई बेहतरीन कार्यक्रम हैंं जैसे Breaking Bad, Super Natural, Elementary, Scorpion, The Voice आदि।
मेरे हिसाब से टीवी पर हिन्दी धारावाहिकों को देखने के बजाय कोई बुक या मैगजीन पढ़ना बेहतर विकल्प है या इस समय को किसी प्रोडक्टिव कार्य में लगायें या मनोरंजन के साथ-साथ जानकारी देने वाले चैनल देखें।
आजकल यूट्यूब पर वेब सीरीज की धूम है और इनमें बड़े-बड़े सितारे का कर रहे हैं, प्रोडक्टशन कंपनियों सितारों को अच्छा-खास पैसा दे रही है, जानते हैं इसकी वजह क्या है! मैं बताता हूं क्योंकि यहां पर वे अपनी क्रिएटिविटी को दिखा सकते हैं, यहां पर चैनलों और दर्शकों का कहानी को तोड़ने-मरोड़ने और कहानी को 10 साल आगे या किरदारों को मक्खी या नागिन बनाने का दबाव नहीं होता है। मनोज बाजपेयी, रिचा चड्ढा, राधिका आप्टे, अली फजल, रजित कपूर आदि जैसे कई सितारे इन वेब सीरीज में काम कर रहे हैं। यहां पर आपको अपनी पसंद के हिसाब से कंटेंट मिलता है नाकि आपको मजबूरी में चैनल की वही घिसी-पिटी कहानी जो आपको सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्या आपने यही सब देखने के लिए इतना महंगा एचडी या यूएचडी टीवी लिया है।
आप यूट्यूब या हॉट स्टार, नेटफ्लिक्स आदि पर ऐसी सीरीज या शॉर्ट फिल्में देख सकते हैं। इसलिए अपना पैसा और टाइम टीवी के घिसे-पिटे कंटेंट्स पर खर्च करने की बजाय ऑनलाइन अपनी पसंद का कंटेंट देखने के लिए खर्च कीजिए। आप यू-टयूब पर बैंग बाजा बारात, बेक्ड, परमानेन्ट रुमेट्स, TVS पिचर्स, मैन्स वर्ल्ड, लेडीज रुम जैसे कई बेहतरीन सीरीज देख सकते हैं।
यह मेरे अपने खुद के विचार है और मैं किसी पर अपने विचार थोप नहीं सकता इसलिए आप अपने विवेक से काम लें।
कमेंट्स जरुर करें ताकि मैं जान सकूं कि मैं किस दिशा में जा रहा हूं।
धन्यवाद
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