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| चित्र गूगल से लिया गया है |
दोस्तों अगर मुझे अपने लिए अंडरवियर और बनियान जैसी बेसिक चीज भी लेनी होती है तो मैं कंफ्यूज हो जाता हूं कि कौन सा ब्रांड लूं! अक्षय कुमार या रणवीर सिंह या अजय देवगन, शाहरुख खान, सलमान खान या फिर अमिताभ बच्चन वाला लूं! दुकान पर जाकर मैं इनमें से किसी स्टार की बनियान मांगता हूं तो दुकानदार तर्क देता है ''अरे साहब यह तो सब दिखावा है आप इस ब्रांड की बनियान लीजिए, माल की गारन्टी है अगर कुछ भी होता है तो मैं आपको बदलकर दूंगा''। ऐसे में मैं खुद को ठगा सा महसूस करता हूं।
"अंडर वियर तक को स्टाइल स्टेटमेंट बना दिया गया है"
अपने ब्रांड को स्थापित करना और बड़ा बनाना हर किसी कंपनी या व्यक्ति का सपना होता है और भारत में तो यह धारणा है कि अगर आपके ब्रांड में कोई सेलिब्रिटी है तो उससे आपके ब्रांड की वैल्यू बढ़ती है और वह ज्यादा बिकता है, लोग ऐसे विज्ञापन पर बहुत ज्यादा ध्यान देते हैं या यूं कहें कि ब्रांड आपका ध्यान भटकाने के लिए लिए ही उन्हें अपने विज्ञापनों में लेते हैं, क्योंकि उसके बाद आप प्रोडक्ट और उसकी विशेषताओं और कमियों के बारे में जानकारी लेने की गुंजाइश नहीं समझते हैं। सेलिब्रिटी एक तरह से आपके दिमाग के लिए लोकल एनसथीसिया का काम करते हैं, देखिए कैसे! आपने कभी विज्ञापन के नीचे काली पट्टी पर स्टार (*) लगे बेहद बारीक अक्षरों में लिखी बातों पर ध्यान दिया है शायद कभी नहीं! अगर दिया भी होगा तो पढ़ नहीं पाये होंगे ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमें इतना समय ही नहीं दिया जाता है कि हम उन पर ध्यान दें या पढ़ने की कोशिश करें। सेलिब्रिटीज का यही काम होता है कि हमें तुलना और जांच पड़ताल करने का समय न मिल पाये इससे हमारे दिमाग में यह धारणा बन जाती है कि अगर इस विज्ञापन में फलां सेलिब्रिटी है तो वह अच्छा ही होगा।
आजकल जब भी टीवी देखता हूं या अखबार पढ़ता हूं मुझे हर छोटे-बड़े, उपयुक्त, अनपयुक्त सामान के विज्ञापन में फिल्मी सितारे नजर आते हैं। जहां तक सदी के महानायक सीनियर बच्चन जी का सवाल है वे तो मुझे हर विज्ञापन में नजर आते हैं ब्रांड चाहे कितना भी छोटा या बड़ा हो इस बात से फर्क नहीं पड़ता है। अगर प्रोडक्ट की बात करें तो वे बनियान से लेकर टॉफी, चावल, तेल, मसाले, क्रीम, मोबाइल, सीमेंट्स तक सभी कुछ बेचते नजर आ रहे हैं। कुछ सेलिब्रिटीज तो पान मसाला के विज्ञापन करने में भी गुरेज नहीं करते हैं।
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| चित्र गूगल से लिया गया है |
2015 में जब मैगी पर बैन लगा था तो हंगामा मच गया था इस वक्त इसका प्रचार अमिताभ बच्चन कर रहे थे इससे उनके ऊपर भी उंगली उठी थी लेकिन उन्होंने सफाई दी थी कि वे अब इसका प्रचार नहीं करते हैं उनका यह भी तर्क था कि हमने कंपनी पर भरोसा किया क्योंकि यह कई दशकों से बहुत जाना-माना ब्रांड है। वे शायद इस बात को भूल गये कि हमारे देश में विज्ञापनों में प्रोडक्ट्स के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाता है और खाना पूर्ति के लिए एकदम बारीक अक्षरों में नीचे असली जानकारी दी जाती है जिस पर उपभोक्ता का ध्यान नहीं जाता है।
उन्होंने जाने-अनजाने देश के करोड़ों लोगों को ऐसे प्रोडक्ट की आदत डाल दी जिसे किसी भी तरह से स्वास्थ्यवर्धक नहीं माना गया है खासकर बच्चों के लिए, क्योंकि इसमें पाये जाने वाले MSG को तय मात्रा से ज्यादा लेने पर यह बेहद हानिकारक हो सकता है क्योंकि यह एक तरह का केमिकल होता है और जिस भी खाने में यह होता है आपको उसकी लत लगा देता है। आपका बार-बार उस चीज को खाने का मन करता है इसे लगातार खाते रहने पर इससे आपको सिरदर्द, छाती में दर्द, चक्कर आना, कमजोरी, सांस तेज चलना, मुह, गर्दन और बाकी के हिस्सो में चुभन, झनझनाहट और जलन महसूस होने जैसी परेशानिया हो सकती है। कई सब्जियों में यह कुदरती तौर पर पाया जाता है।
लोग आंख मूंद कर उनकी फेस वैल्यू की वजह से प्रोडक्ट को खरीदते रहे, उन्होंने पैक के लेबल पढ़ने की जहमत भी नहीं उठायी। प्रोडक्ट की गुणवत्ता संबंधी कमी निश्चित रुप से कंपनी की जिम्मेदारी है। लेकिन सेलिब्रिटीज का भी फर्ज नहीं बनता कि वे विज्ञापन करने से पहले प्रोडक्ट के बारे में पूरी जानकारी लें क्योंकि उनके प्रचार से कई लोग प्रभावित होते हैं।
मेरा मानना है कि सेलिब्रिटी जिस प्रोडक्ट का एंडोर्समेंट या प्रचार कर रहे हैं यदि वे उसे इस्तेमाल नहीं करते हैं तो उन्हें उसका प्रचार करने का अधिकार नहीं है।
बाजारवाद की पराकाष्ठा ही है कि सीनियर बच्चन जी को बनियान और तेल तक बेचने पड़ रहे हैं, जबकि अपने आप को किंग कहने वाले खान साहब और सलमान खान जी टीवी पर चप्पल बेचते नजर आते हैं वहीं अजय देवगन साहब की जुबां केसरी है। एक पान मसाला ब्रांड ने तो जेम्स बॉण्ड स्टार पियर्स ब्रोसनन को भी नहीं छोड़ा।
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| चित्र गूगल से लिया गया है |
सेलिब्रिटीज द्वारा इन बेसिक सी चीजों के लिए प्रचार करने से इनकी कीमत पर असर पड़ता है। इसका मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं अगर आप मार्केट से कोई भी सामान्य हवाई चप्पल खरीदते हैं तो उनकी कीमत रु. 100 से कम होती है मगर जिनके विज्ञापन सेलिब्रिटीज करते हैं उनके दाम रु. 200 तक या इससे अधिक हैं। इसमें नुकसान आम लोगों का होता है क्योंकि विज्ञापनों के जरिए उन्हें इतना भ्रमित कर दिया जाता है कि बेचारे अन्य विकल्पों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं।
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| चित्र गूगल से लिया गया है... इस तरह कौन शुभकामनाएं देता है |
यदि हम क्रीम, पाउडर, साबुन, शैम्पू, स्नैक्स, केचअप, मिल्क फूड ड्रिंक्स और हेयर ऑयल आदि की बात करें तो यह डिपार्टमेंट हीरोइनों के खाते में आता है, टीवी पर इन सभी कैटेगरीज के ही सबसे ज्यादा विज्ञापन आते हैं। 100 तरह की क्रीम बाजार में हैं और तरह-तरह के बेहद कठिन तकनीकी शब्दों को इस्तेमाल करते हुए उनकी खूबियों का महिमा मंडन किया जाता है। आपने एक बात गौर की होगी हर क्रीम में कुछ खास तत्व होते हैं, हर क्रीम दोगुना गोरापन और स्मूद स्किन देती है।
प्रचार करने में कोई बुराई है लेकिन जिम्मेदारी भी जरुरी है। आम उपभोक्ताओं की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे सिर्फ स्टार का चेहरा देखकर प्रोडक्ट न खरीदें और प्रोडक्ट्स पर लगे लेबल्स को ध्यानपूर्वक पढ़ें जिससे उन्हें मालूम हो सके हैं कि वह चीज उनके लिए उपयोगी है कि नहीं या इसमें कौन-कौन से तत्व शामिल हैं और इन्हें इस्तेमाल करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
उपरोक्त लेख मेरी रिसर्च, अवलोकन और अनुभवों पर आधारित है संभव है कुछ लोग मेरी बातों से सहमत न हों इसलिए हमें अपनी राय जरुर बतायें।




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