कलयुगी भक्‍त और भक्ति


मैं कलयुगी भक्‍त हूं, भगवान, देवी-देवता तय नहीं हैं, सभी की पूजा करता हूं, प्रात: काल उठने के बाद पूरे दो घंटे तक पूजा-पाठ करता हूं। मेरा एक मंदिर भी है! मेरा मतलब, मैं उसका कर्ता-धर्ता हूं।
मंदिर कैसे बना इसके पीछे की कहानी बड़ी रोचक है!
मैं कर्जदारों की धमकियों और तकाज़ों से हताश व निराश हो चुका था क्‍योंकि आइपीएल में मैं कई लाख रुपये हार चुका था जो मैंने कर्ज लिए थे, इसी उधेड़बुन में एक रात जब मैं नशे में धुत्‍त होकर लेटा हुआ था तो प्रभु मेरे सपनों में आये और बोले:
"भक्‍त परेशान मत हो मैं तेरी पीड़ा जानता हूं, मेरा एक मंदिर बनाओ, इससे तुम्‍हारा कष्‍ट दूर होगा",
मैं रात भर सो न सका सुबह होते ही जगह ढूंढने निकल गया क्‍योंकि मेरी सारी संपत्ति तो पहले से गिरवी पड़ी थी, एक दिन मैं कहीं जा रहा था तो रास्‍ते में फुटपाथ के आस-पास खाली जगह देखी तो मैं दंग रह गया कि इतनी भीड़-भाड़ वाली जगह पर इतनी सारी जगह खाली पड़ी हुई है और अगले दिन उस खाली जगह पर एक भगवान या शायद देवी/देवता की मूर्ति  या फोटो रखकर चला आया और रोज वहां पूजा-अर्चना करने जाने लगा।
कुछ दिनों के पश्‍चात प्रभु फिर से मेरे सपने में आये और मुझे डांटा-
"ये क्‍या मैं खुले में रहूंगा मूर्ख! वहां पर एक छोटे से अस्‍थायी मंदिर का निर्माण करो",
फिर मैंने वहां पर अपने जैसे कुछ लोगों को जमा करके एक बहुत छोटा मंदिर बना दिया, लोग वहां पर आने लगे थे मगर शायद प्रभु खुश नहीं थे, एक दिन फिर वे मेरे सपने में आये और बोले
"भक्‍त! जगह बहुत कम है हमें वहां घुटन होती है मंदिर को थोड़ा बड़ा बनाओ",
फिर मैंने धीरे-धीरे आस-पास की जमीन पर कब्‍जा जमाना माफ कीजिए मंदिर को विस्‍तारित करना शुरु कर दिया अब प्रभु के लिए पर्याप्‍त जगह थी, लेकिन ये क्‍या प्रभु फिर भी संतुष्‍ट नहीं हुए और सपने में आकर मुझे बहुत डांटा और बोले-
"वत्‍स, मेरे दर्शनों को आने वाले भक्‍त सर्दी, धूप और बारिश से प्रभावित होते हैं और उनके मार्गदर्शन के लिए कोई पुजारी भी नहीं है"।
अब मैने आस-पास के लोगों को अपनी सपने वाली बात बतायी और सभी इसके लिए राजी हो गये, धन की व्‍यवस्‍था करने के लिए मंदिर में दानपत्र रख दिया गया और देखते ही देखते धन बरसने लगा और मैंने मंदिर का विस्‍तार कर दिया। कुछ और लोकप्रिय देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्‍थापित कर ली हैं जिससे सभी तरह के भक्‍त यहां पहुंच रहे हैं और मंदिर लोकप्रिय हो रहा है पिछले महीने ही भंडारा किया काफी श्रद्धालू आये थे अब तो एक दानी व्‍यक्ति ने वहां पर प्‍याऊ भी बनवा दिया है।
बगल से गुजरने वाले लोगों के लिए भी सुविधा हो गयी है वे सड़क पर ही अपनी गाड़िया खड़ी करके या गाड़ियों से गुजरते हुए हाथ जोड़कर निकल जाते हैं। सड़क पर जाम लगने लगा है पुलिस से शिकायत करने की सोच रहा हूं कि वे यहां पुलिस कर्मी तैनात करें जिससे लोगों को मंदिर तक पहुंचने में बांधा न पहुंचे।
अब अगल-बगल अन्‍य भगवानों, देवी-देवताओं के दो और छोटे-छोटे मंदिर बना दिए गये हैं वे भी इसी प्रक्रिया से गुजर रहे हैं।
यहां का कार्य तो अब पूरा हो गया है आमदनी बढ़ गयी है, कर्ज भी उतर गया है,  प्रभु भी खुश हैं काफी दिन हुए सपने में नहीं आये मगर मैं ऐसी जमीन की तलाश में रहता हूं क्‍योंकि पता नहीं कब प्रभु मेरे सपने में आकर कह दें कि भक्‍त मेरा एक और मंदिर बनाओ।

यह लेख एक सच्ची घटना पर आधारित है

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