100 करोड़ साल बाद का मानव जीवन (YEAR MILLION)

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कल्पनाओं, परिकल्पनाओं और Science ने मानव जाति के क्रमिक विकास में अभूतपूर्व योगदान दिया है जिसके कारण हम आज इस आधुनिक दुनिया में जी रहे हैं, लेकिन क्‍या आपने कभी कल्पना की है कि 100 करोड़ साल बाद मानव जीवन कैसा होगा।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इंसानों के प्रकृति के अत्‍यधिक दोहन के कारण प्रकृति को असंतुलित कर दिया है जिससे जलवायु परिवर्तन यानि Global Warming, ग्रीन हाउस गैसों का उत्‍सर्जन, pollution जैसी कई समस्‍याओं को जन्‍म दिया है यदि असंतुलन इसी तरह बढ़ता रहा तो एक समय ऐसा आने वाला है जब पृथ्‍वी रहने योग्‍य नहीं रह जायेगी।
इसी स्थिति से निपटने के लिए और इसके विकल्‍पों को खोजने में दुनियाभर के वैज्ञानिक लगे हुए हैं और National Geographic Channel पर पिछले दिनों प्रसारित हुए कार्यक्रम Year Million में मानव जीवन के 100 करोड़ साल बाद के बदलावों पर रोशनी डाली गयी है, वैज्ञानिकों के मुताबिक 100 करोड़ साल के बाद हमारा जीवन पूरी तरह से बदल जायेगा। हम अपना दिमाग Computer हार्ड ड्राइव पर सेव करने में सक्षम होंगें और हमें भौतिक शरीर की कोई आवश्यकता नहीं रह जायेगी अर्थात हम अमर हो जायेंगे हम जब चाहें जहां चाहें जा सकेंगे। इस अद्भुत दुनिया को वैज्ञानिकों ने मेटावर्स का नाम दिया है।

चलिए एक उदाहरण के जरिए समझते हैं, परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु होना सबसे दु:खदायी घटना होती है खासकर बच्चों के मामले में तो इंसान टूट ही जाता है लेकिन अगर मेटावर्स में ऐसा होता है तो हमारे पास उसके दिमाग को computer में सुरक्षित रखने का विकल्प होगा और कुछ समय बाद वह व्यक्ति हमारे साथ हमारी दुनिया में रहने लगेगा ठीक वैसे ही जैसे वह मौत से पहले रहा करता था, निश्चित रुप से वह शारीरिक तौर पर तो हमारे बीच नहीं रहेगा लेकिन उसकी प्रोजेक्ट इमेज हमारी बीच रहेगी, हम उसके साथ पहले की तरह बातचीत कर पायेंगे जिससे हमें उसके जाने की कमी नहीं खलेगी।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारी धरती वर्तमान में कई खतरों से घिरी हुई है उदाहरण के लिए परमाणु युद्ध, उल्कापिंड का धरती से टकराना, प्राकृतिक आपदाएं, जलवायु परिवर्तन आदि, ऐसे में हमें रहने के लिए कोई अन्य ठिकाना ढूंढना ही होगा और इसके लिए हमें अपनी धरती से बाहर जाकर विकल्पों की तलाश करनी होगी जहां की जलवायु, पर्यावरण और भू-भाग हमारी पृथ्वी जैसा हो। मंगल ग्रह (Mars) इसके लिए सही विकल्‍प है लेंकिन अभी वहां का वातावरण अनुकूल नहीं है।
वैज्ञानिक प्रोग्रामेबल मैटर बनाने में लगे हुए हैं जो कोई भी आकार ले सकता है अगर ऐसा संभव हो जाता है तो किसी भी चीज को बनाना एकदम आसान हो जायेगा, यह किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा को सहने में सक्षम होगा इसे अपने हिसाब से प्रोग्राम किया जा सकेगा।
मानलीजिए आप इंजीनियर हैं और जीवन बचाने वाले फार्मूले पर काम कर रहे हैं और गलती से आपका कॉफी का कप टेबल से नीचे गिरकर चकनाचूर हो जाता है लेकिन ये क्या इसके टुकड़े अपने आप विंडमिल में तब्दील हो जाते हैं जिसका डिजाइन आप बना रहे हैं। आप चाहें तो इससे सोलर पैनल बना सकते हैं जो एक विशाल हिस्से को ऊर्जा देने में सक्षम है और मौसम बदलने पर इसे विंड मिल में तब्दील कर सकते हैं। आप ऐसी दीवार बना सकते हैं जो तूफान या सुनामी के वेग और ऊंचाई के हिसाब से ऊंची और मोटी होती चली जाती है। इसी प्रकार यदि कोई इमारत तूफान से तहस-नहस हो जाती है तो इसके मलवे से किसी भी आकार की वस्तुए बनायी जा सकेंगीं, इसे आप अपनी जरुरत के हिसाब से आकार दे सकते हैं।

एक और टर्मिनोलॉजी है टेराफार्मिंग यह एक ऐसी तकनीक है जिससे किसी भी ग्रह पर खेती की जा सकेगी। इस पर किसी भी मौसम का प्रभाव नहीं होगा इसे किसी भी तरह की पारंपरिक चीजों की आवश्यकता नहीं रहेगी।

ऐसे और भी कई कमाल की कल्पनाएं हैं जो इस कार्यक्रम के जरिए की गयी हैं जैसे कि मंगल ग्रह को इंसानों के रहने लायक जगह बनाने के बारे में पेश किए गए आइडिया, डायसन स्फियर। मंगल ग्रह के पानी को पहले गर्म किया जायेगा जो इसे जलवायु प्रदान करेगा जिससे वहां की बर्फ पिघलने लगेगी और वहां जीवों की उत्‍पत्ति के अनुकूल जलवायु का निर्माण होगा।

ऐसा अनुमान है कि 100 करोड़ साल बाद हमारा दिमाग बिलियन super computers से भी ज्यादा तेज होगा और आप किसी भी काम को चुटिकियों में कर पायेंगे। खैर अभी तो ये सिर्फ कल्‍पनाएं हैं मगर मानव जाति का भविष्‍य अब वैज्ञानिकों के हाथों में ही है। यह देखना भी दिलचस्‍प होगा कि इस दिशा में वैज्ञानिक कितनी तेजी से सफल हो पाते हैं।

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