सोशल एंजाइटी डिसऑर्डर (SAD) - लक्षण व समाधान

SAD or Social Phobia (Photo: https://thiswayup.org.au/how-do-you-feel/shy/#deal)

दोस्‍तों बचपन से ही मुझे लोगों का सामना करने में परेशानी होती है मुझे याद है जब मैं स्‍कूल में पढ़ता था तो बेंच पर सबसे पीछे बैठता था ताकि टीचर मुझ से कुछ पूछ न लें, जैसे टीचर सवाल पूछते मैं अपना सिर झुका लेता था हालांकि मैं पढ़ने में इतना भी बुरा नहीं था मगर मुझे सबके सामने बोलने में परेशानी होती थी कि कहीं मैं गलत न बोल दूं कोई मेरा मजाक न उड़ाये। मैंने शायद ही कभी अपने टीचर से कोई सवाल पूछा हो। जब दिल्‍ली आया तब भी मेरा स्‍वभाव ऐसा ही रहा। मुझे हमेशा यही डर लगा रहता है कि कहीं मैं गलत न बोल दूं इसीलिए नये लोगों के बीच मुझे उलझन सी होती है, मैं अजनबियों के साथ बातचीत में पहल आज भी नहीं कर सकता हूं, कई लोगों को मेरा यह स्‍वाभाव घमंडी लगता है। 

इस स्थिति को SAD या Social Phobia कहते हैं इस स्थिति में व्‍यक्‍ित खुद के प्रति कुछ ज्‍यादा ही संवेदनशील हो जाता है, निराशा उसे घेर लेती है अटेंशन बिल्‍कुल भी रास नहीं आता है। जहां तक मेरी बात है जब भी कोई मुझे किसी शादी या पार्टी में चलने को कहता है तो मेरा पहला जवाब ना में होता है जब तक बहुत जरुरी न हो मैं ऐसे समारोहों में शामिल नहीं होता हूं। कई बार ऐसा होता है कि मुझे ऐसी शादी या पार्टी में जाना पड़ता है जहां पर मैं आमंत्रित करने वाले व्‍यक्ति के अलावा किसी और को नहीं जानता हूं, ऐसी परिस्थिति में मेरे लिए वहां पर रुकना मुश्किल हो जाता है मैं सोचता हूं कि कब यहां से निकलूं क्‍योंकि मैं वहां असुरक्षित या घुटन सी महसूस करता हूं, मुझे लगता है लोग मुझे घूर रहे हैं।


अगर आपको भी इस तरह की परेशानियां है तो आप सोशल एंजाइटी डिसऑर्डर (SAD) से पीड़ित हो सकते हैं

  • अजनबी से बात करने में दिक्‍कत होना
  • बात करते समय आंख चुराना
  • ऐसे कमरे में जाने से बचना जहां पहले से लोग बैठे हों।
  • बातचीत की पहल करने से बचना
  • सार्वजनिक टॉयलेट्स इस्‍तेमाल न कर पाना
  • अंत तक यही सोचते रहना कोई मुझसे कुछ पूछ न ले। 
  • लोगों के बीच बैठकर खाना नहीं खा पाना
  • पार्टी या किसी समारोह में जाने के नाम से विचलित हो जाना
  • बात करते समय पसीना-पसीना हो जाना और कांपना 
  • दुकान से सामान खरीदकर लाना/ मोल-भाव करना
  • फोन पर बात करना
मुझे याद है जब मैं कक्षा 6 या 7 में पढ़ता था तो 15 अगस्‍त के दिन स्‍कूल में टीचर ने मुझे गाना गाने को कहा, मैं तैयारी के बावजूद गाना भूल गया बस थोड़ा बहुत ही गा पाया, क्‍योंकि मेरी आवाज लड़खड़ाने लगी और मैं कांपने लगा, ऐसा लगा मानों सभी मुझे ही घूर रहे हैं। बाद में सहपाठियों ने मेरा मजाक उड़ाया जिसे में बर्दाश्‍त नहीं कर पाया और उसके बाद से तो मैं और भी अंर्तमुखी हो गया। 
बच्‍चों में सोशल एंजायटी (Social Anxiety) के कई कारण हो सकते हैं जैसे घर का माहौल ठीक न होना, मां-बाप के बीच की अनबन, दुर्व्‍यवहार, उत्‍पीड़न, अकेलापन, आनुवांशिक, एकल परिवार और इकलौता बच्‍चा होना जैसे अनेक कारण हो सकते हैं।

उपचार/ निदान
  • सबसे कारगार उपचार है खुद को महत्‍व देना
  • ध्‍यान लगाना (Meditation) करना
  • अपने अंदर आत्‍मविश्‍वास जगाना
  • खुद को अलग न समझना
  • योग का अभ्‍यास या अन्‍य शा‍रीरिक गतिविधियां करना
  • सोशल एंजाइटी (Social Anxiety) की दवा सोशल एंजाइटी डिसऑर्डर वाले लोगों में से कईयों के लिए कारगर होती है, लेकिन सभी के लिए नहीं। सोशल एंजाइटी के लिए, रिसर्च से पता चला है कि एंटी-एंजाइटी दवाएं, और (संभवत:) कुछ एंटी डिप्रेसेंट्स cognitive-behavioral therapy (CBT एक तरह की मनोवैज्ञानिक पद्धति है जिसे मरीज के मन से नकारात्‍मक विचारों को बाहर निकालने के लिए अपनाया जाता है ताकि अवांछित व्यवहार पैटर्न बदल सके या डिप्रेशन जैसे मनोदशा विकारों का इलाज किया जा सके) के साथ सबसे कारगर सिद्ध हुई हैं। सक्रिय, व्‍यवस्थित cognitive-behavioral therapy (CBT) के इस्‍तेमाल के बगैर यह लम्‍बी अवधि के लाभ नहीं देते हैं।
  • सोशल एंजाइटी (Social Anxiety), तथा अन्‍य एंजाइटी विकार, का वर्तमान में सफलता पूर्वक इलाज किया जा सकता है। इस समस्‍या से निपटने के लिए, मैं मनोचिकित्‍सक (Psychiatrist) के पास जाने की सिफारिश करुंगा यानि ऐसा कोई जो इस समस्‍या को अच्‍छी तरह समझता है और जानता है कि इसका उपचार कैसे करना है।
हमारे देश में आज भी मानसिक बीमारी को एक कलंक के तौर पर देखा जाता है या ऊपरी हवा माना जाता है और लोग मनोचिकित्‍सक (Psychiatrist) के पास जाने की बजाय इन सब टोटकों में समय बर्बाद कर देते हैं, बाद में स्थिति बेहद खतरनाक हो जाती है जिसके नतीजे घातक हो सकते हैं।

मैं तो यही कहूंगा कि खुद को पहचानें, आत्‍मविश्‍वास मजबूत करें और अपने अंदर की नकारात्‍मकता को बाहर निकाल दें। योग या एक्‍सरसाइज करना हमारे शरीर व मानसिक स्‍वास्‍थ्‍‍‍य के लिए बेहद अच्‍छा रहता है इसलिए नियमित रुप से कोई शारीरिक गतिविधि कीजिए जैसे साइ‍किल चलाना, दौड़ना, फुटबॉल खेलना, पैदल चलना, योग इत्‍यादि ऐसा करने से हमारे अंदर एंड्रलिन नामक कैमिकल का संचार बढ़ाता है जिससे हमारे अंदर की नकारात्‍मकता और तनाव में कमी आती है और हम अच्‍छा महसूस करने लगते हैं।


अपने आस-पास के लोगों को भी जागरुक करें और उन्‍हें मनोचिकित्‍सक (Psychiatrist) के पास जाने की सलाह दें। 

आपको लेख कैसा लगा अपनी राय अवश्‍य बतायें।  

नोट: यह लेख मेरे अनुभवों पर आधारित है, पाठक अपने विवेक से काम लें। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ