आयुर्वेदिक खाना खजाना - स्‍वस्‍थ रहने का अचूक उपाय

Ayurveda

Ayurvedic Khana Khazana


हमारे मौजूदा व्‍यस्‍त और भाग-दौड़ वाले समय में, आध्‍या‍त्मिक, सेहतमंद और सुखी जीवन की पहले से कहीं ज्‍यादा जरुरत है। पीड़ा, बीमारी और पर्यावरण के विनाश के अलावा जेनेटिक इंजीनियरिंग में विकास ने, मानवता और पृथ्‍वी को गंभीर स्थिति तक पहुंचा दिया है। भोजन विरक्‍त होता जा रहा है। भोजन का एहसास और संस्‍कृति गुमनामी में खोती जा रही है। मेरी पुस्‍तक को सदाबाहर वैदिक ज्ञान और हमारे मौजूदा समय के बीच सेतु का काम करना चाहिए, यह नये युग की तरफ एक छोटा सा साइनपोस्‍ट है, जिसे संतों ने स्‍वर्ण युग कहा है। 

आयुर्वेदिक कुकिंग विज्ञान, कला, प्यार, और पोषण का एक शानदार मिश्रण है। यह प्रकृति की चिकित्सा शक्ति को जागृत करती है और आपको आपके अदंर पहले से मौजूद ज्ञान से जोड़ती है। आप इस पुस्तक को पढ़ने के साथ, इन अवधारणाओं को सीखें, और आयुर्वेदिक तरीकों के अनुसार खाना बनाना शुरू करें।

वैदिक खानपान की विशेषताएं


शाकाहारी, वैदिक खानपान सेहतमंद, स्‍वादिष्‍ट और पचाने में आसान है। यह हमें तंदुरुस्‍त और सेहतमंद बनाये रखने के लिए आदर्श भोजन है। यह अभी तक खाना पकाने की सबसे प्राचीन परंपरा है और समय के प्रभाव के सामने अडिग है। 

प्राचीन भारतीय ग्रंथ कहते हैं कि आप मनुष्‍यों को उनके दांतों के प्रकार, आंतों की लंबाई, इसके अलावा पाचन तंत्र और हाथों की बनावट से बता सकते हैं कि वे मांस खाने वाले प्राणी नहीं हैं। प्राकृतिक रुप से हम शाकाहारी हैं, फलों, सब्जियों, मेवे और अनाज खाने के लिए बने हैं। अब यह सवाल खड़ा होता है कि लोग मांस का सेवन क्‍यों करते हैं यदि यह उनकी प्रवृत्ति के विरुद्ध है! इसका जवाब काफी आसान है। जब हिमयुग आया तो इंसानों को जिंदा रहने के लिए जानवरों का शिकार करना पड़ा। इसी प्रकार, मांस खाने की परंपरा शुरु हो गयी। 

वेदों में मनुष्‍य को अमृतनम पुत्र (अमरता का पुत्र) कहा गया है परन्‍तु मांस का सेवन करने की वजह से लोग ज्‍यादा आक्रामक हो गये, उनकी बीमार पड़ने की संभावना बढ़ गयी और वे अल्‍पायु हो गये।

इस पुस्‍तक का अध्‍ययन करने पर आप पायेंगे कि आयुर्वेदिक कुकिंग आपके जीवन को कितना सुखद बना सकती है। इस पुस्‍तक में लगभग वह प्रत्‍येक जानकारी है जो किसी व्‍यक्ति को निरोग जीवन व्‍यतीत करने के लिए आवश्‍यक होती है, ऐसे कुछ व्‍यंजनों का भी वर्णन किया गया है जो आज के जीवन शैली के अनुरुप हैं।
इसके अलावा भिन्‍न-भिन्‍न मसालों एवं जड़ी-बूटियों (हर्ब्‍स) का सचित्र वर्णन भी है, साथ ही आपको इसमें योग - सूर्य नमस्‍कार, प्राणायाम और ध्‍यान लगाने (Meditation) के लाभों एवं तरीकों की जानकारी भी मिलेगी।

एक छोटा सा प्रयास


अपने रिसर्च के दौरान मैने पाया कि ज्‍यादातर पुस्‍तकें अंग्रेजी भाषा में लिखी गयी हैं या उनका अन्‍य मूल विदेशी भाषाओं से अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है। 

हैवनली कुकिंग विद आयुर्वेदा नाम की पुस्‍तक को पढ़ने का सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ, इसमें आयुर्वेद, दोष संतुलन, भारतीय सामग्र‍ियों, मसालों, दूध, दही और घी के बारे में बेहद विस्‍तार से वर्णन किया गया है। इस पुस्‍तक को पढ़ने के बाद मुझे एहसास हुआ कि हमें अपनी इस प्राचीन वैदिक परंपरा की जानकारी विदेशी लोगों से मिल रही है, हालांकि अनेक भारतीय लोगों ने भी आयुर्वेदिक खान-पान के बारे में लिखा है मगर अंग्रेजी में, जिससे यह सामान्‍य लोगों की पहुंच से बाहर है। इसलिए मैंने इस प्राचीन ज्ञान को अपनी मात्रृ भाषा हिन्‍दी में प्रकाशित करने का फैसला किया है। 

पुस्‍तक में मैंने कुछ व्‍यंजनों को बनाने की विधियों (रेसिपि) का वर्णन भी किया है जिनका हम अपने रोजमर्रा के जीवन में सेवन करते हैं, अगर इन व्‍यंजनों को सही विधि से बनाया जाये तो ये हमें निरोग रखने में महत्‍वपूर्ण साबित होंगी। मैंने इस पुस्‍तक को दो भागों में विभाजित किया है पहले भाग में मैंने आयुर्वेद खान-पान, योग, दोष असंतुलन, दोष परीक्षण, मसालों और महत्‍वपूर्ण जड़ी-बूटियों का वर्णन किया है जबकि दूसरे भाग में अनेकों व्‍यजंनों को बनाने की विधियां (रेसिपि) होंगी जिन्‍हें मैं खुद प्रयोग करता हूं।





इस हजारों साल पुराने वैदिक ज्ञान से अपने और अपने करीबी लोगों के जीवन को स्‍वस्‍थ एवं खुशहाल बनायें।

अभी आप इस पुस्‍तक Amazon से खरीद सकते हैं और इसे किसी भी स्‍मार्ट फोन पर Kindle App डाउनलोड करते हुए पढ़ा जा सकता है। 

निरोग बनाने वाली इस पुस्‍तक को खरीदने के लिए कृपया Link पर Click करें:  
 
Ayurveda

Ayurvedic Khana Khazana




 
अपनी राय अवश्‍य दीजिए

एक टिप्पणी भेजें

2 टिप्पणियाँ