सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था मगर एक दिन रात को
करीब 2 बजे मुझे किसी का फोन आया कि हमारे किसी करीबी की दिल का दौरा पड़ने से
मौत हो गयी है इतना सुनते ही मैं बेचैन हो उठा, घबराहट से मेरा बुरा हाल था,
लग रहा था मेरा दम निकल जायेगा,
गला सूखने लगा,
हथलियों में पसीना आने लगा, मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था मानो फट जायेगा, मैंने खुद को समझाने की हर कोशिश की मगर मेरी बेचैनी कम नहीं हुई, पूरे दिन वही बात मेरे दिलो-दिमाग पर छायी रही।
“इस घटना के बाद से मेरा इतना बुरा हाल था कि टीवी देखते समय अगर कोई हार्ट अटैक का सीन चल रहा होता था या कोई इस बारे में बात भी करता था तो मुझे बहुत घबराहट और बेचैनी होने लगती थी”
अपनी समस्या के बारे में लोगों से बात करने पर ज्यादातर ने कहा कि गैस के कारण ऐसा हो सकता है, मैने सभी ओवर द काउंटर दवायें आजमा ली लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, फिर मैं बहुत जाने-माने गैस्ट्रो
स्पेशलिस्ट (पेट से जुड़ी बीमारियों के विशेषज्ञ) के पास गया उसने एंडोस्कोपी और पेट का एक्सरे किया लेकिन ऐसी कोई
बड़ी समस्या नहीं थी, उसने मुझे कुछ लेक्जेटिव्स (पेट साफ करने की) और गैस की
दवायें दी मगर सब बेअसर ही रहीं, एक महीना दवाई खाने के
बाद फायदा नहीं हुआ था तो मेरे बड़े भाई ने आयुर्वेदिक उपचार लेने के लिए कहा, मैंने सोचा ये भी आजमा लिया जाय, तो मैं
निजामुद्दीन में तिब्बती क्लीनिक में गया जो इस तरह की बीमारियों के लिए काफी
प्रसिद्ध है, वहां भी डॉक्टर ने कहा कोई खास परेशानी नहीं
और दवाई दे दी, फायदा न होने पर जब मैं दुबारा गया और बताया
कि फायदा नहीं हो रहा है तो डॉक्टर ने खुराक बढ़ा दी लेकिन सब बेअसर,
अंत में डॉक्टर ने बोल दिया कि आप किसी और पद्धति को अपनाये हमारी दवा शायद आपको सूट नहीं
कर रही है, इस बात से मैं हैरान था।
मैं जनरल फिजिशियन से भी मिला उसने मुझे कहा कि विटामिन की कमी से भी
ऐसा हो सकता है, मैंने विटामिन टेस्ट कराये, विटामिन डी की कमी निकली उसके लिए इंजेक्शन भी लिए, कुछ दिन ठीक रहा, लेकिन मेरा पेट बिलकुल भी
ठीक नहीं था, सभी जरुरी टेस्ट्स कराने के बाद मेरी घबराहट, बेचैनी पेट की समस्या से कोई फायदा नहीं मिल रहा था। मैं घबराहट के कारण कई बार अपना ईसीजी करवा चुका था।
अब तक मेरी
परेशानी को 3 महीने बीत चुके थे लेकिन मैं ठीक नहीं हो पा रहा था। मेरे घर वाले
झाड़-फूंक वाले लोगों के पास जाने की जिद करने लगे मेरी मां ने किसी को कुंडली
दिखायी तो उसने कहा कि मुझ पर किसी ने जादू टोना किया है पर मैं इन सब बातों में
विश्वास नहीं करता हूं।
अब मैंने दूसरे पहलू पर विचार करने का फैसला किया और जब मैंने अपने बीते समय के बारे बहुत गहराई से सोचा तो पाया कि यह समस्या तो काफी पुरानी है, अक्सर मूड बदल जाना, किसी से बात करने का या मिलने-जुलने का मन न
करना, हीन भावना, हर चीज में परफेक्शन ढूंढना अगर न मिले तो गुस्सा हो जाना / चिढ़ जाना, सब कुछ छोड़ कर कहीं दूर चले
जाने का मन करना, जीवन में किसी भी चीज के प्रति उत्साह न
होना, किसी भी चीज के प्रति सुनिश्चित न होना, चीजों को याद करने में दिक्कत होना। अक्सर मुझे लगता था कि मुझे मनोचिकित्सक (psychiatric) को
दिखाना चाहिए।
मैं टेस्ट्स करते हुए और दवायें खा-खाकर परेशान हो गया था, इसी बीच हमारे एक क्लाइंट हमारे ऑफिस में थे तो मेरे दोस्त ने उनसे
मेरी परेशानी का कोई हल बताने के लिए कहा, जब मैने उन्हें
अपनी कहानी बतायी तो उन्हें एक ही बात कही कि मुझे एनजायटी (Anxiety) हो सकती है। अब मैं समझ गया था मुझे क्या परेशानी है मैने इंटरनेट का खंगालना शुरु किया और लक्षणों के आधार पर इस नतीजे पर पहुंचा कि मैंं मानसिक परेशानी से पीड़ित हूं।
एनजाइटी (Anxiety) एक तरह की गंभीर चिंता या भय (Phobia) होता है जो सामान्यतया सभी में होता है लेकिन जब यह आपके काम-काज, पढ़ाई, स्वास्थ्य पर असर डालने लगती है तो स्थिति थोड़ी अलग हो जाती है। एनजाइटी कई तरह की होती है जैसे सामान्य एनजायटी, पैनिक डिसऑर्डर (तीव्र चिंता), सोशल एनजायटी (लोगों के बीच जाने से डरना)।
जहां तक मेरा सवाल था मेरे अंदर तो तीनों लक्षण मौजूद थे। मैं अगले
ही दिन सफदरजंग अस्पताल गया क्योंकि मुझे इससे अच्छा विकल्प और कोई नहीं लगा, मैंने ओपीडी से फिजिशियन की
पर्ची बनायी और मैंने डॉक्टर को अपनी समस्या और सारी रिर्पोट्स
दिखायी तो डॉक्टर ने इतना ही कहा आप बहुत दवाएं खा चुके हैं, तुम मनोचिकित्सक (साइकोलोजिस्ट) से मिलो,
मनोचिकित्सा विभाग अस्पताल की तीसरी मंजिल पर है वहां रजिस्ट्रेशन के बाद मैं
काउंसलिंग के लिए गया, काउंसलिंग के बाद उन्होंने मुझे
सीनियर डॉक्टर के पास भेजा और उसने मुझे पूछा ऐसा कब
से हो रहा है क्या-क्या होता है। उन्होंने मुझे कुछ दवायें लिखीं और कुछ टेस्ट्स कराने के लिए कहा। मुझे एक महीने बाद आने को कहा, दवा खाने के एक हफ्ते बाद ही मेरी घबराहट, बेचैैनी की समस्या काफी हद तक ठीक हो गयी थी लेकिन मेरा पेट अभी भी गड़बड़ ही था, कोई भी दवा काम
नहीं कर रही थी, एसिडिटी ज्यादा होने पर मुझे घबराहट होने
लगती थी, जब मैंने इंटरनेट पर खोजबीन की तो पता चला ये तो
दवा का साइड इफैक्ट है जो धीरे-धीरे ठीक हो जायेंगे।
अगले
महीने मैं जब डॉक्टर से मिला तो उसने दवा बदल दी और एक महीने
बाद आने को कहा,
इसी तरह से मुझे इलाज लेते हुए लगभग 10 महीने हो गये हैं, अब मैं धीरे-धीरे ठीक हो रहा हूं लेकिन अभी भी रात को अजीब और
नकारात्मक सपने आते हैं और मैं बेचैन हो उठता हूं लेकिन अब मेरा मूड ठीक रहता है
और चिड़चिड़ापन, गुस्सा करना कम हो गया है।
यदि आपको
या आपके परिवार के किसी सदस्य या किसी दोस्त या परिचित को निम्न लक्षण हैं–
1. बहुत घबराहट, बेचैनी होना,
2. शरीर कांपना, हथेलियों और माथे पर पसीना आना,
3. दिल का तेजी से धड़कना और दम घुटने जैसा महसूस होना,
4. बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होना, थकान रहना, मांस-पेशियों में बिना किसी कारण दर्द या अकड़न रहना।
5. मन उदास या उखड़ा हुआ रहना, मन में कोई उत्साह न रहना,
6. पल-पल मूड बदलना, चिड़चिड़ापन, हीन भावना,
7. किसी चीज के प्रति दिल में डर बैठ जाना
8. मन में आत्महत्या का विचार आना
9. किसी चीज में सही ध्यान न दे पाना, पेट गड़बड़ रहना, एसिडिटी रहना।
घबराये नहीं, जितनी जल्दी हो सके मनोचिकित्सक (Psychiatrist) से मिले, यह बिल्कुल सामान्य बात है,
कभी-कभी दिमाग में मौजूद कैमिकल इम्बैलेंस की वजह से भी ऐसी परिस्थिति आ जाती है लेकिन इसका मुख्य कारण तनाव है, इससे बचें। क्या आप जानते हैं कि हर 4 भारतीयों में एक एंजायटी और 10 प्रतिशत भारतीय डिप्रेशन के शिकार हैं। इन दिनों बच्चे सबसे ज्यादा तनाव के शिकार हैं बच्चों के बर्ताव का खास ध्यान रखें, उपरोक्त लक्षण दिखने पर उन्हें अकेला न छोड़ें उनसे बात करते रहें, उन्हें सकारात्मक चीजें बतायें, बच्चों पर ज्यादा पढ़ाई का जोर न डालें, धुम्रपान और शराब के सेवन से बचें क्योंकि यह एंजायटी का स्तर बढ़ा देता है।
इस
स्थिति से उबरने के मेरे उपाय:
खुद को व्यस्त रखने की कोशिश करता हूं, सुबह जल्दी उठता हूं, दौड़ने जाता हूं, ध्यान लगाता हूं, योग करता हूं, संगीत सुनता हूं, किताबें पढ़ता हूं और सबसे बड़ी बात
सकारात्मक रहने की कोशिश करता हूं।
तनाव को दूर रखें, खुश रहें, व्यस्त रहें और शारीरिक रुप से एक्टिव बने रहें। अपना रोजाना का रुटीन तोड़ें और कुछ दिनों के लिए कहीं बाहर घूमने जायें।
आप भी
मेरे अनुभव से खुद की या किसी अन्य व्यक्ति की मदद कर सकते हैं। मेरेे इस अनुभव से अगर किसी को फायदा होता है तो मुझे बहुत ज्यादा खुशी होगी।



0 टिप्पणियाँ