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| हाल ही में संपन्न हुए दिल्ली अंर्तराष्ट्रीय फिल्म फेस्टीवल में राष्ट्रगान के लिए खड़े लोग |
पिछले दिनों हम सभी ने सुप्रीम कोर्ट के राष्ट्रगान पर सुनाए गए फैसले के बारे में सुना या पढ़ा है जिसमें कहा गया है कि सिनेमा घरों में फिल्म से पहले राष्ट्रगान चलाया जायेगा और सभी को सम्मान में खड़ा होना होगा। ज्यादातर लोगों ने इस फैसले का स्वागत किया है लेकिन कुछ ऐसे भी जिन्हें यह एक तरह की जबरदस्ती लगती है और आजादी के अधिकार का हनन लगता है लेकिन हमें याद रखना चाहिए राष्ट्र का सम्मान करना हमारा पहला कर्तव्य है। हमारी देशभक्ति भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले मैचों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, तभी हमारा राष्ट्र महान बनेगा।
राष्ट्र के सम्मान में गाये जाने वाले गीत के प्रति हमारी ऐसी सोच को समझना भी बहुत जरुरी हो जाता है, लेकिन सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि राष्ट्रगान का क्या अर्थ है, इसे क्यों गाया जाता है, इसे कब-कब गाया जाता है, राष्ट्रगान की अवधि कितनी है आदि।
कुछ दिनों पहले मैं हिन्दुस्तान में एक लेख पढ़ रहा था जिसमें, लेखक ने लिखा था कि “लोग सिनेमा हॉल में मनोरंजन के लिए जाते ना कि देश भक्ति का पाठ पढ़ने के लिए" मैं उनकी इस बात से सहमत हूं लेकिन अगर हम सभी अपने देश के राष्ट्रगान के सम्मान में कुछ सेकेंड्स खड़े हो जायेंगे तो इससे हमारे मनोरंजन में कोई कमी नहीं आयेगी, उन्होंने ये भी लिखा कि “कानून के रक्षकों को इसका पालन कराना भी टेढ़ी खीर साबित होगा”, हम भारतीयों की यही तो कमी है कि हम डंडे के बगैर कुछ नहीं करते और अगर डंडा चलता है तो इसे अधिकारों का हनन मान लिया जाता है।
खैर, हम राष्ट्रगान के बारे में अपने सामान्य ज्ञान के थोड़ा बढ़ाते हैं।
जन गण मन भारत का राष्ट्रगान है, जो मूलतः बांग्ला भाषा में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखा गया था। राष्ट्रगान के गायन की अवधि लगभग 52 सेकेण्ड निर्धारित है। कुछ अवसरों पर राष्ट्रगान संक्षिप्त रूप में भी गाया जाता है। इसमें पहली और आखिरी पंक्तियाँ ही गायी जाती हैं, जिसमें लगभग 20 सेकेण्ड का समय लगता है।
संक्षिप्त संस्करण
राष्ट्रगान की पहली और आखिरी पंक्तियों के साथ एक संक्षिप्त संस्करण भी कुछ विशिष्ट अवसरों पर बजाया जाता है। इसे इस प्रकार पढ़ा जाता है-
जन-गण-मन अधिनायक, जय हे
भारत-भाग्य-विधाता,
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।
संक्षिप्त संस्करण को चलाने की अवधि लगभग 20 सेकंड है।
राष्ट्रगान की परिभाषा
ऐसी स्तुति या गान, जो राष्ट्रप्रेम की भावना अभिव्यक्त करता हो तथा शासकीय रूप से आधिकारिक राष्ट्रगान के रूप में स्वीकृत हो या जनसाधारण में लोकप्रिय हो।
भारत का राष्ट्रगान
भारत का राष्ट्रगान अनेक अवसरों पर बजाया या गाया जाता है। राष्ट्रगान के सही संस्करण के बारे में समय-समय पर अनुदेश जारी किए गए हैं, इनमें वे अवसर जिन पर इसे बजाया या गाया जाना चाहिए और इन अवसरों पर उचित गौरव का पालन करने के लिए राष्ट्रगान को सम्मान देने की आवश्यकता के बारे में बताया जाता है। सामान्य सूचना और मार्गदर्शन के लिए इस सूचना पत्र में इन अनुदेशों का सारांश निहित किया गया है।
इन्हें खास महत्व वाले अवसरों पर बजाया जाना चाहिए जैसे परेड, सैनिक सम्मान, राष्ट्रपति का सलामी लेना, स्कूल और कालेजों में प्रार्थना के बाद, इसे किसी सामान्य अवसर पर नहीं बजाया जाना चाहिए।
सावधानियाँ
- जब राष्ट्रगान गाया या बजाया जाता है तो श्रोताओं को सावधान की मुद्रा में खड़े रहना चाहिए। यद्यपि जब किसी चल चित्र के भाग के रूप में राष्ट्रगान को किसी समाचार की गतिविधि या संक्षिप्त चलचित्र के दौरान बजाया जाए तो श्रोताओं से अपेक्षित नहीं है कि वे खड़े हो जाएँ, क्योंकि उनके खड़े होने से फ़िल्म के प्रदर्शन में बाधा आएगी और एक असंतुलन और भ्रम पैदा होगा तथा राष्ट्रगान की गरिमा में वृद्धि नहीं होगी।
- जैसा कि राष्ट्र ध्वज को फहराने के मामले में होता है, यह लोगों की अच्छी भावना के लिए छोड दिया गया है कि वे राष्ट्रगान को गाते या बजाते समय किसी अनुचित गतिविधि में संलग्न नहीं हों।
आजकल ज्यादातर लोग फेसबुक, टीवी, व्हट्सएप्प को ही सभी जानकारियों का स्रोत मानते हैं, जबकि सभी जानते हैं कि सोशल मीडिया पर पोस्ट की जाने वाली अधिकांश जानकारियां/ खबरें भ्रामक होती है और उन पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए और बिना सच्चाई को जाने इसे आगे फॉरवर्ड नहीं करना चाहिए,
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