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| सोचा था क्या, क्या हो गया! |
हमारे देश में प्रशासनिक व्यवस्था इतनी कमजोर है कि लोग इसे घुटने टेकने पर मजबूर कर देते हैं इसका ताजा उदाहरण है ओला और ऊबर की हड़ताल। सरकार ने बिना कोई नियम या कानून बनाये इन कंपनियों को टैक्सी सर्विसेज चलाने की इजाजत दे दी, फिर इन कंपनियों ने सभी नियम कानूनों को ताक पर रखकर लोगों से टैक्सी खरीदने और ओला और ऊबर के साथ चलाने के लिए कई तरह के झूठे वायदे किए और स्कीमें निकाली। लोगों ने भी आंख मूंदकर अपनी मेहनत की कमाई से गाड़ियां खरीद-खरीदकर इन कंपनियों में लगा दी। मगर अब उन्हें लगा रहा है कि उन्हें बेवकूफ बनाया गया है और अब वे हड़ताल पर बैठ गये हैं और जाहिर सी बात है वे अब सरकार से दखल चाहते हैं, मगर जब वे अपनी कार इन कंपनियों के साथ लगाने जा रहे थे तब उन्होंने कोई जांच-पड़ताल नहीं की होगी कि कंपनी अगर इतनी सस्ती दरों पर टैक्सियां चलायेगी तो उन्हें हर महीने लाख रुपये कैसे मिल जायेंगे।
दूसरा उदाहरण है ई-रिक्शा, कुकरमुत्ते की तरह उगते ई-रिक्शा बाजारों में जाम का मुख्य कारण बन गये हैं, एक रिर्पोट के अनुसार केवल 30 प्रतिशत ई-रिक्शा ही रजिस्टर्ड हैं बाकी 70 प्रतिशत बिना रजिस्ट्रेशन के ही चल रहे हैं, इस मामले में भी ऐसा ही हुआ लोगों ने सरकार के दिशा-निर्देशों के आने की परवाह किए बगैर भारी संख्या में ई-रिक्शा खरीदने शुरु कर दिये और अपनी मर्जी से चलाने लगे। पानी सिर से ऊपर गुजरने के बाद सरकार की नींद टूटी और सरकार ने इन्हें अवैध करार कर दिया। फिर होना क्या था वही पुराना हथकंडा, ये लोग हड़ताल पर बैठ गये। मजबूरन सरकार को इन्हें वैध करना पड़ा और रजिस्ट्रेशन करने को कहा मगर हम लोग कहां सुधरने वाले हैं सिर्फ 30 प्रति लोगों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया। सरकार और स्थानीय प्रशासनों द्वारा सख्त कदम नहीं उठाने की वजह से इसकी तादाद खतरनाक स्थिति तक पहुंच गयी है।
ज्यादातर ई-रिक्शा ड्राइवर के पास लाइसेंस नहीं है, कई को ना बालिग हैं। सबसे बड़ी बात वे अपने ई-रिक्शा को अवैध तरीके से चार्ज करते हैं।
ज्यादातर ई-रिक्शा ड्राइवर के पास लाइसेंस नहीं है, कई को ना बालिग हैं। सबसे बड़ी बात वे अपने ई-रिक्शा को अवैध तरीके से चार्ज करते हैं।
मुझे लगता है सरकार को ओला-ऊबर जैसी कंपनियों के साथ-साथ हड़ताल पर बैठे लोगों पर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए ताकि उन्हें सबक मिल सके कि वे अपने फायदे के लिए नियमों का उल्लंघन नहीं पायें। अवैध ई-रिक्शा चालकों पर भारी जुर्माना लगाना चाहिए और इनकी बढ़ती संख्या को रोकना चाहिए।
हम लोगों का भी फर्ज बनता है कि हम किसी भी तरह की स्कीम या ऑफर का लाभ उठाने से पहले उनकी अच्छी तरह जांच-पड़ताल करें।
याद रखें पिछले साल ई-रिक्शा की दुघर्टनाओं में 350 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई, इसलिए अच्छे नागरिक बनें और ड्राइवरों के गलत काम न करने दें, कुछ मिनट बचाने के चक्कर में अपना अमूल्य जीवन दांव पर न लगायें।

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