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| पार्कों की दुर्दशा दिखाती तस्वीर |
सुबह-सुबह पार्क में जाना और वहां की नर्म और ओस से भरी घास पर चलना, ताजी हवा में सांस लेना किसे पसंद नहीं होगा, साथ्ा ही पार्क में सैर करने से शरीर स्वस्थ रहता है ये भी सभी जानते हैं मगर मैं जिन पार्कों के बारे में बात करने जा रहा हूं उनकी हालत ऐसी नहीं है वे तो बस कूड़ादान बनकर रह गये हैं। लोगों को इतनी भी अक्ल नहीं है कि पार्क के अंदर बना ट्रैक किस लिए उपयोग होता है वे उस पर मोटर साइकिले और स्कूटर दौड़ाते हैं मैं कई बार टोकता हूं लेकिन सुबह वहां जॉगिंग आने वाले अन्य लोगों को जैसे फर्क नहीं पड़ता है। बड़ी मुश्किल से वहां ओपन जिम लगाया गया मगह अब उसकी हालत है कि लोग अपनी सुविधा के हिसाब से उसके हिस्से तोड़कर ले जा चुके हैं।
मेरी कालोनी में लगभग 10 पार्क हैं और सभी की हालत दयनीय है, सबसे बड़े पार्क के बीचों-बीच झुग्गियां बनी हुई है और पूरे पार्क में बस गंदगी नजर आती है रखरखाव के नाम पर कुछ भी नहीं है लोग पार्क के अंदर मोटरसाइकिलें खड़ी करते हैं खाना खाते हैं और रात में बैठकर शराब पीते हैं और कूड़ा वहीं फेंक कर चले जाते हैं, अगर कभी सफाई होती भी है तो सारा कूड़ा पार्क में ही एक-जगह फेंक कर उसमें आग लगा दी जाती है, जो कई दिनों तक सुलगती रहती है, झुग्गी-झोपड़ी वाले वहां बड़े आराम से रह रहे हैं वे चूल्हें में खाना पकाते हैं, पार्क में लगे खंभों से बिजली की चोरी करते हैं जो पूरी तरह से गैरकानूनी है।
एक अन्य पार्क में गौशाला चलती है जो ठीक स्कूल के सामने और घरों के बीचों-बीच हैं ना स्कूल वालों को और ना ही आस-पास के लोगों को इससे कोई परेशानी है इसलिए यह आराम से चल रही है। गायों का मालिक सुबह दूध निकालने के बाद उन्हें कालोनी में खुला छोड़ देता है और गायें बेचारी भटकती रहती है। लोगों के बचे-खुचे खाने पर निर्भर रहती है उनका मालिक सिर्फ दूध निकालने के लिए उन्हें पालता है।
अन्य पार्क में रिक्शे वाले रात को अपने रिक्शे खड़े करते हैं वहीं बैठकर शराब पीते हैं और एक अन्य पार्क में पास की झुग्गियों के लोग अपनी बकरियां, मुर्गियां और कबूतर तक पालते हैं। अपने रहने की जगह नहीं है मगर शौक सभी रखते हैं।
दूसरे सबसे बड़े पार्क को बिना किसी की अनुमति के शादियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, वो भी उन लोगों द्वारा जिनका कालोनी से कोई संबंध नहीं हैं, वे बाहर के होते हैं, ये लोग पूरे पार्क और आस-पास की जगह पर कब्जा कर लेते हैं और कालोनी के निवासियों को परेशानी पहुंचाते हैं, पार्क के चारों ओर लगी रेलिंग लगभग उखाड़ ली गयी है और चारों तरफ से यह कचरे से भर चुका है। पूरी कालोनी में उनकी कारें पार्क रहती हैं और बाकी बची जगह पर टैक्सी स्टैन्ड चलाने वालों ने घेर रखी है। ये लोग इतने दबंग है कि रात-रात भर डीजे बजाते हैं उन्हें आस-पास या नियम-कानूनों की कोई परवाह नहीं होती है। कई बार 100 नंबर डायल करना पड़ता है।
एक अन्य पार्क तो शराब पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। शाम होते ही वहां लोग खुले में शराब पीने लगते हैं, रोकने वाला कोई नहीं और पुलिस वाले तो दूर-दूर तक कहीं नहीं दिखायी देते हैं, हैरत इस बात की है कि लोग जुर्माने से भी नहीं डरते हैं, हम लोगों का इतना नैतिक पतन हो चुका है कि हम किसी भी नियम व कानून को मानने की बजाय उसका तोड़ निकालने में डट जाते हैं। पार्क और आस-पास की हालत ऐसी हो गयी है कि वहां केवल प्लास्टिक के गिलास, रैपर, खाली डब्बे, बोतले ही दिखायी देती हैं। आजकल उसका इस्तेमाल बाहरी लोग अपनी गायों को बांधने के लिए कर रहे हैं। सफाई के नाम पर खाना पूर्ति की जाती है सफाई कर्मी सफाई नहीं करते हैं बल्कि गंदगी को और ज्यादा फैलाते हैं।
विकास कार्य के नाम पर भी खाना पूर्ति होती है कालोनी के बाहर कालोनी के पुर्ननिर्माण का बोर्ड लगा हुआ है लेकिन कालोनी के अंदर विकास कार्य तेजी से चल रहा है कहीं फुटपाथ बनाये जा रहे हैं, पार्कों की रेलिंग पर रंग-रोगन चल रहा है। टूटी हुई सड़कों की मरम्मत हो रही है, अचानक इतनी तेज से कार्य का होना चौंकाता है।
पता नहीं कब हम लोग अपनी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों को समझेंगे और हमारी कालोनियां भी साफ-सुथरी बनेंगी।
अगर आपके आस-पास का भी यही हाल है तो उसके बारे में आवाज अवश्य उठायें।
धन्यवाद

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