हम सभी जानते हैं कि धरती की बदौलत ही हमारा असतित्व है हमें पैदा होने से लेकर मृत्यु तक अपनी सभी जरुरत की चीजें धरती से ही मिलती है। वैसे तो धरती को मां का दर्जा दिया गया है किन्तु जब मां की देखभाल करने की बात आती है तो सभी लोग इसकी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डाल लेते हैं। बहुत कम लोग हैं जो पूरी जिम्मेदारी के साथ इसका मान बढ़ाते हैं, इसकी जरुरतों का ख्याल रखते हैं इसे सचमुच मां की तरह प्यार करते हैं मगर ज्यादातर लोग इससे लेते तो सभी कुछ हैं लेकिन जब लौटाने की बात आती है तो अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
हम अपनी धरती और वातावरण के प्रति कितने चिंतित है इसे मैं एक उदाहरण देकर समझाना चाहता हूं। मेरे घर के पास एक काफी बड़ा पार्क है इसमें बहुत सारे पेड़-पौधे हैं कभी यह पार्क बहुत खूबसूरत हुआ करता था लेकिन अब लोगों ने इसे उतना ही बदसूरत बना दिया है। आज सुबह (यानि वर्ल्ड अर्थ डे) जब मैं पार्क में गया तो देखा कि पार्क में एक जगह कूड़े के ढेर में आग सुलग रही थी और लोग उसकी बगल से जॉगिंग करते हुए जा रहे थे मगर किसी को भी इससे कोई मतलब नहीं था। जब मैं आग बुझा रहा था तो लोग मुझे अचरज भरी नजरों से देख रहे थे मानों मैंने ही आग लगायी हो।
अगले दिन फिर से मैंने उसी जगह पर आग जलते हुए देखी और जब मैं आग बुझा रहा था आखिर एक व्यक्ति मेरे पास आया बोला "पार्क में आग क्यों लगाते हो, आप लोगों की शिकायत करुंगा, मैने कहा शौक से करो"। बाद में जब अन्य लोगों ने उसे बताया कि मैं भी उसी तरह जॉगिंग के लिए आया हूं तो शांत हुआ, उसने समझा मैं पार्क का केयर टेकर हूं।
सुबह सैर के लिए आने वाले ज्यादातर लोग बस इतना जानते हैं कि सुबह-सुबह पार्क में सैर करने से सेहत दुरुस्त रहती है मगर यह नहीं जानते हैं कि यदि हवा ही सांस लेने लायक नहीं है तो ऐसी सैर करने का क्या फायदा।
पार्क में सुबह-सुबह जॉगिंग ट्रैक पर लड़के मोटरसाइकिल चलाते हुए दिख जाते हैं उन्हें टोकने पर भी वे नहीं मानते हैं, सोचिए ऐसे बच्चे देश के क्या काम आयेंगे जिन्हें ये नहीं पता कि पार्क का उपयोग किसलिए किया जाता है।
अगर हम अगली पीढ़ी के लिए कुछ बचाकर रखना चाहते हैं तो हम सभी को जिम्मेदार नागरिक बनना होगा।

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