नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार 2015 में बच्चों के साथ 9983 अपराध हुए जिनमें 927 घटनाएं बलात्कार की थीं। ये तो आंकड़े हैं जो पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज है। न जाने ऐसे कितने बच्चे है जो रोजाना इस परिस्थिति से गुजरते होंगे।
29 दिसंबर 2016 की बात है पुलिस को खबर मिलती है कि मयूर विहार मेट्रो स्टेशन के पास एक लड़की बेहोश पड़ी है जिसकी उम्र लगभग 15 साल है। पुलिस उसे लालबहादुर शास्त्री अस्पताल लेकर जाती है जहां वह 2 दिन बाद समय से पहले बच्चे को जन्म देती है।
3 दिनों तक बेहोश रहने के बाद उसे होश आता है और पुलिस जब मजिस्ट्रेट के सामने उसका बयान लेती है तो सभी सन्न रह जाते हैं।
वह लड़की बताती है कि मेट्रो स्टेशन के आस-पास के गांव के 5 लड़के कई महीनों से उसका योन शोषण कर रहे थे जिसके कारण वह गर्भवती हो गयी थी। लड़की को यह तक नहीं पता था कि वह गर्भवती है। जब पुलिस ने उन लड़कों नाम पूछा तो उसे केवल एक लड़के का नाम याद था। उसने बताया कि बाकी लड़के उसी के दोस्त हैं।
अनाथ, अकेली और नाबालिग होने की वजह से उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि जो उसके साथ हो रहा है वह उसका शोषण है और उसे ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए। लड़की ने जिस बच्ची को जन्म दिया है उसका वजन सामान्य से कम है और समय से पहले पैदा होने के कारण उसे अभी नर्सरी में रखा गया है।
लेकिन राहत की बात यह कि आरोपी लड़के पकड़े गये है उन्हें पकड़ने के लिए पुलिस काफी गहन तलाशी अभियान चलाया। वे सभी लड़के अपराधी प्रवृत्ति के हैं और लोगों के साथ झपटमारी करते हैं। लेकिन सवाल ये है कि अब उन लड़को पर जो भी कार्यवाही होती है उससे पीड़ित लड़की की जिंदगी नहीं बदलने वाली है वह शायद ही इस मनोस्थिति से उबर पायेगी।
पुलिस के आकड़ों की बात करें तो 2016 में बच्चों के साथ हुए बलात्कारों में जानने वालों या रिश्तेदारों का हाथ था। सोचिए जब बच्चे अपने ही परिचितों से सुरक्षित नहीं है तो बाहर जाने पर उनके साथ ऐसी वारदातों का होना कोई चौंकाने वाली बात नहीं है।
ज्यादातर मां-बाप अपने बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाने की अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं या यूं कहें कि वे खुद ही जिम्मेदार नागरिक नहीं होते हैं। स्कूलों में भी इस बारे में शायद ही कुछ सिखाया जाता है इसका उदाहरण है मेरे घर के पास का प्रतिभा स्कूल जिसे पढ़ाई के मामले में बहुत अच्छा स्कूल माना जाता है मगर स्कूल के सामने पार्क में एक व्यक्ति गोशाला चलाता है गंदगी फैली रहती है लेकिन स्कूल अपनी सामाजिक जिम्मेदारी कभी नहीं निभाता अगर वे चाहें तो अगले दिन ही वहां से अवैध कब्जा हट सकता है मगर नहीं स्कूल का काम है बच्चों को पढ़ाना इससे ज्यादा कुछ नहीं।
इस पूरी घटना का जिक्र करने का मेरा आशय है यदि हम सर्तक रहें तो इस तरह से बच्चों का जीवन बर्बाद नहीं होगा।

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