न्‍यूज चैनलों का गिरता स्‍तर



कल मैं समाचार चैनलों को खंगालते समय जब टीवी18 इंडिया पर पहुंचा तो वहां एक इंटरव्‍यू चल रहा था, जिसमें सवांददाता सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता का इंटरव्‍यू ले रहा था, वह कमांडडेंट से ऐस सवाल पूछ रहा था मानों सीआरपीएफ के डीजी या देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह का इंटरव्‍यू ले रहा हो।
शायद आपको पता हो चेतन चीता कौन हैं! चेतन चीता सीआरपीएफ के कमान्‍डेंट हैं जो 14 फरवरी 2017 को जम्‍मू एवं कश्‍मीर में के बांदीपुरा क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में घायल हो गये थे, वे 9 गोलियां लगने के बावजूद जिन्‍दा बच गये। करीब 2 महीनों तक कोमा में रहने के बाद अप्रैल में कोमा से बाहर आये और अब तेजी से ठीक हो रहे हैं। हादसे में उनकी दांयी आंख चली गयी है।
हां तो अब संवाददाता के सवालों के बारे में बात करते हैं उसने पूछा "कमान्‍डेंट चीता जब आपको गोली लगी तो आपको कैसा लगा मतलब आपके मन में क्‍या ख्‍याल आया क्‍या दिमाग में परिवार की तस्‍वीर उभर आयी थी, माइन्‍ड ब्‍लैंक हो गया" इस सवाल का जवाब कमान्‍डेंट चीता ने इस प्रकार दिया "वहां कुछ भी हिन्‍दी फिल्‍मों जैसा नहीं होता है"। फिर उसने पूछा "नक्‍सलियों को क्‍या हल है उनसे कैसे जीता जा सकता है" इसका जवाब भी उन्‍होंने अपने अंदाज में ही दिया - "इसका कोई हल नहीं है" जम्‍मू कश्‍मीर के मसले का जवाब उन्‍होंने बहुत रोचक दिया उन्‍होंने कहा कि "कश्‍मीर एक कैंसर है जिसके कितना भी काटकर फेंक दो वह दोबारा उभर आता है।
मुझे ये समझ नहीं आता है कि ऐसे इंटरव्‍यूज का क्‍या औचित्‍य होता है जब तक चेतन चीता जीवन की जंग लड़ रहे थे तक ये न्‍यूज चैनल अस्‍पताल में नहीं गये उनका हाल-चाल नहीं पूछा मगर अब उनकी वीरता के चर्चे मशहूर होने पर सभी उनका इंटरव्‍यू लेना चाहते हैं। इंटरव्‍यू के दौरान चेतन चीता सवालों से काफी परेशान दिख रहे थे मगर सवांददाता अपने बेतुके सवाल पूछे जा रहा था।

एक और चैनल है न्‍यूज नेशन जिसमें कल पाकिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति परवेज मुशरफ का लाइव इंटरव्‍यू चल रहा था मुझे समझ नहीं आता कि इससे चैनल क्‍या स‍ाबित करना चाहता था सभी जानते हैं कि पाकिस्‍तान जब अपने सैनिकों के शव लेने से मना कर देता है तो इस बात क्‍यों मानेगा कि उसने हमारे सैनिकों के साथ बर्बरता की है। मुशरफ ऐसा साबित करने पर तुला था कि पाकिस्‍तान से पाक-साफ और कोई देश नहीं है। मुशरफ ने कहा उनकी फौज बहुत अनुशासित फौज है और इस किस्‍म की हैवानियत नहीं कर सकती है।
परवेज से जवाब मानने का क्‍या तुक बनता है जबकि खुद उसकी गर्दन पर तलवार लटकी हुई है। इस इंटरव्‍यू के बाद हमें क्‍या सीखने को मिला या समाचार चैनल ने क्‍या साबित किया। कुछ भी स्‍पष्‍ट नहीं हो पाया।
आज जब मैने इस इंटरव्‍यू को यूट्यूब पर देखा तो उसमें सिर्फ भारत को गाली देने वाले ही कमेंट्स थे। ये मामला सरकारों का है इसमें अपनी जजमेंट देने का हक किसी भी अन्‍य व्‍यक्ति या संस्‍था का नहीं बनता है।
दोस्‍तों इस तरह के समाचार चैनलों से खबरदार रहें।

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