वाहनों की बढ़ती संख्‍या और यातायात नियम


सारी दुनिया वाहनों की बढ़ती संख्‍या से परेशान है और सरकारों के सामने वाहनों की संख्‍या कम करने की गंभीर चुनौती है, इसके अलावा वाहनों की वजह से बढ़ते प्रदूषण और वातावरण को होने वाले नुकसान पर नियंत्रण करना भी बहुत आवश्‍यक है वरना दुनिया का चित्र कुछ सालों बाद बहुत भयावह होगा।
भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में तो वाहनों की संख्‍या खतरनाक स्‍तर से बढ़ रही है, हर रोज सड़कों पर 53,720 नये वाहन उतरते हैं, अगर सरकारी आकड़ों की बात करें 2013-14 तक भारत में 2,15,00,165 थे जिसमें सबसे बड़ी तादाद दुपहिया वाहनों की है जो 1,68,83,049 थी। अगर आप दिल्‍ली में रहते हैं तो आपका दिन में कम से कम एक बार तो जाम में फंसना तय है, दिल्‍ली की सड़कों पर हर समय वाहनों का भारी दबाव रहता है और भीड-भाड़ वाले समय में वाहनों की औसत स्‍पीड 26.5 किमी प्रति घंटा रहती है।

भारत की बात करें तो, चाहे मुख्‍य सड़क हो, गलियां हो या पार्किंग की जगह हो सब जगह गाड़ियां ही गाड़ियां खड़ी नजर आती है, ऊपर से कंपनियां हर महीने नये मॉडल लॉन्‍च करती रहती है। सुबह और शाम को सड़कों पर वाहन रेंगते नजर आते हैं। 

वाहनों की तादाद बढ़ने से सड़क पर होने वाले हादसों में भी बहुत ज्‍यादा इजाफा हुआ है, क्‍या आप जानते हैं भारत में हर दिन 377 लोग सड़क हादसों में मरते हैं, यह ऐसा है मानों हर रोज एक जंबो जेट क्रैश होता हो,  सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के आकड़ों के अनुसार 2015 में 5,01,423 सड़क हादसे हुए। ऐसे में यात्रियों व वाहनों की सुरक्षा पर ध्‍यान देना बहुत आवश्‍यक है। 

अब यदि हम वाहनों में सुरक्षा उपायों की बात करें तो सरकार भी केवल कारों की सुरक्षा पर ही ज्‍यादा ध्‍यान देती है, अन्‍य वाहनों की सुरक्षा तो भगवान भरोसे है, इसी का एक उदाहरण है छोटे तिपहिया व्‍यवसायिक वाहन, इन वाहनों की हालत देखकर हैरानी होती है, उनका न तो कोई डिजाइन होता है और ना ही कोई क्‍वालिटी होती है, ड्राइवर के बैठने के लिए एक बेंच होता है, न सीट बेल्‍ट और न कोई अन्‍य सुरक्षा उपाय, मगर जब कारों की बात हो तो इनमें कई तरह के सुरक्षा उपाय होते हैं जैसे एयर बैग्‍स, सीट बेल्‍ट्स, एंटी ब्रेकिंग सिस्‍टम आदि। सरकार ने कार चालकों की सुरक्षा के लिए कई नियम कानून बना रखे हैं। कंपनियां भी सवारी कारों में कई तरह की सुविधाएं प्रदान करती हैं जैसे आरामदायक सीटें, एयर कंडीशनर, अत्‍याधुनिक बढ़िया म्‍यूजिक सिस्‍टम, पावर विंडोज, पार्किंग कैमरा, ऑटोमैटिक गियर शिफ्‍ट इत्‍यादि, साथ ही वे लगातार रिसर्च करते हुए अपने ग्राहकों को हर बेहतर सुविधा प्रदान करने का प्रयास करती है। मगर जहां तक व्‍यवसायक वाहन चालकों की बात है उनकी सुरक्षा का कोई ध्‍यान नहीं रखा जाता है, ट्रक चालक 12-12 घंटे ट्रक चलाता है अगर आप उसके केबिन को देखेंगे तो आपको बहुत दुख होगा क्‍योंकि यह बहुत अजीब और अव्‍यवस्थित होता है। 

अगर यातायात नियमों की बात करें तो ये भी अजीब हैं, दुपहिया वाहनों के लिए हेलमेट लगाना अनिवार्य है मगर साइकिल चलाने वाले के लिए नहीं, कार चलाते समय वेल्‍ट पहनना अनिवार्य है मगर 3 व्‍हीलर में नहीं। कार के लिए क्रैश टेस्‍ट पास करना जरुरी है लेकिन 3 व्‍हीलर के लिए नहीं।

हम लोग भी अपनी सुरक्षा के प्रति तभी सजग होते हैं जब हमें कार खरीदनी होती है। अगर हमें व्‍यवसायिक वाहन खरीदना होता है जिसे खरीदने वाला व्‍यक्ति नहीं चलायेगा तो सुरक्षा को नजरअंदाज कर दिया जाता है क्‍योंकि इससे वाहन महंगा हो जाता है। यहां पर ट्रक का उदाहरण लेते हैं ट्रांसपोटर्स केवल ट्रक  चेसिस खरीदते हैं और बॉडी बाहर से बनवाते क्‍योंकि अगर कंपनी से पूरा ट्रक खरीदेंगे तो उन्‍हें यह महंगा पड़ेगा, इसलिए वे पैसे बचाने और ज्‍यादा लोड लेजाने के लिए बॉडी को बाहर से बनवाते हैं और मानकों से बड़ी बनाते हैं। अगर सरकार पूरा ट्रक खरीदना अनिवार्य कर दे तो चालकों के साथ-साथ सरकार को भी काफी फायदा होगा।

आशा करते हैं कि आने वाले समय में सरकार इस समस्‍या के प्रति अधिक गंभीर होगी तथा नागरिक भी अपने कर्तव्‍यों को समझेंगे और वाहन खरीदते समय थोड़े से पैसे बचाने के बजाय अपनी व अपने परिवार की सुरक्षा को ज्‍यादा तरजीह देंगे।

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