किल बिल - ग्राहक की व्‍यथा


मुझे पूर्ण विश्‍वास है कि कभी न कभी आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा जब आपसे बस अड्डे या रेलवे स्‍टेशन या किसी दुकान में सामान के एमआरपी से ज्‍यादा कीमत मांगी या वसूली गयी होगी, जब आपने इसकी वजह पूछी होगी तो दुकानदार या तो भड़क गया होगा या उसने बहाने बनाये होंगे और फिर आपने या तो सामान नहीं खरीदा होगा या दुकानदार को मनमाने पैसे दे दिए होंगे।
कल की ही घटना है मैंने एक जनरल स्‍टोर से सामान लिया और जब बिल बनाने की बारी आयी तो दुकानदार का कर्मचारी कोरे सफेद कागज पर लिखने लगा जब मैंने कहा कि बिल बनाओं तो कहने लगा भाई साहब अभी सभी चीजों के कोड नहीं आये हैं जब मैंने जोर दिया तो उसने मुझे मालिक के पास भेज दिया मालिक ने भी वही किया और कोरे कागज में सामान का बिल बनाकर दे दिया जब मैंने पूछा बिल कहां है तो उसने कहा सर बिल बनाने में काफी समय लगता है, लोगों के पास समय नहीं होता है, सिस्‍टम स्‍लो चलता है, बंदे ने कंप्‍यूटराइज बिलिंग के लिए सिर्फ एक कंप्‍यूटर रखा हुआ है और दुकान ऐसी चलती है कि लोग काउंटर पर खड़े ही रहते हैं जब मैंने कहा कि टेक्‍नोलॉजी इस्‍तेमाल करो तो कहना लगा आप हमें न समझाएं कि हमें क्‍या करना है और क्‍या नहीं करना है, बंदा मेरे साथ बहस करता रहा लेकिन बिल नहीं बनाया जब मैंने गुस्‍से से कहा कि अगर बिल नहीं बना सकते हो तो अपना सामान अपने पास रखो और मैं बाहर आने लगा तो पता है उसने क्‍या कहा! उसने कहा दोबारा दुकान में कदम मत रखना, फिर तो मैंने उसे आड़े हाथों लिया, जिसके बाद शांत हुआ और बोला बिल बना देता हूं उसके बाद कहीं मैं आगे शिकायत न कर दूं कहानियां सुनाने लगा हमारे पास हर तरह के ग्राहक आते हैं जो टैक्‍स नहीं देना चाहते हैं कहते हैं कि हमें बिल नहीं चाहिए, जब मैंने उसे सुपरमार्केट्स और मेट्रो या केन्‍द्रीय भंडार के उदाहरण दिये तो बेचारा चुप हो गया।
"कहने लगा सामान में टैक्‍स पहले से शामिल होता है, मैने कहा भाई वो तो उत्‍पादनकर्ता के लिए है, आपका इनकम टैक्‍स कौन देगा, चुप हो गया कुछ नहीं बोला। गौर करने वाली बात यह थी कि वहां पर कई ग्राहक खड़े थे लेकिन कोई कुछ नहीं बोला"।
अभी मैं टाइम्‍स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर एक न्‍यूज रिर्पोट पढ़ रहा था, जिसमें वडोदरा की एक महिला ने 2 दुकानदारों से सिल्‍वर की राखी खरीदी जिसके लिए किसी भी दुकानदार ने बिल नहीं बनाया यहां तक कि महिला के जोर देने के बावजूद उन्‍होंने बिल नहीं बनाया और बहाना बनाया कि हम रु. 50 का बिल नहीं बनाते हैं। महिला नजदीकी थाने में गई और शिकायत की जिसके बाद पुलिस ने दुकानदार को बिल बनाने के लिए कहा और उसे नागरिकों के अधिकारों का सम्‍मान करने के लिए कहा।
क्‍या आप जानते हैं कि दुकानदार का बिना मांगे बिल बनाना अनिवार्य है चाहे वह रु.50 का क्‍यों न हो! आप जब भी बड़े हायपरमार्केट में जाते हैं तो वहां आपको प्रत्‍येक चीज के लिए कंप्‍यूट्राइज बिल दिया जाता है मगर जब आप पड़ोस के किसी जनरल स्‍टोर  में जाते हैं तो आप न बिल मांगते हैं और न दुकानदार देता है। सोचिए अगर आप दुकानदार से 1 किलो दूध खरीदते हैं जिसकी कीमत रु. 40 है और इस पर दुकानदार का मुनाफा रु.2 का है, दुकानदार रोज 50 किला दूध बेचता है और महीने में 1500 किलो दूध बेचता है जिस पर रु. 2 के हिसाब से उसका मुनाफा रु.30,000 है क्‍योंकि उसने इसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा है इसलिए सारा पैसा उसकी जेब में जायेगा जिससे सरकार को टैक्‍स न मिलने की वजह से नुकसान होगा मगर सबसे बड़ा नुकसान आपका है यदि वह दूध खराब निकला और आप बीमार पड़ जाते हैं तो आप किसी पर दावा नहीं कर सकते हैं।
इसीलिए अपने सामान का पक्‍का बिल लें जिस पर दुकानदार का जीएसटी नंबर छपा हुआ हो। बिल नहीं मिलने पर इसकी शिकायत उपभोक्‍ता फोरम को  http://consumeraffairs.nic.in/ पर जाकर या nch-ca@nic.in पर हेल्‍पलाइन नंबर 1800-11-4000 या नजदीकी पुलिस थाने में करें। सरकार को भी बाजारों का औचक निरीक्षण करना चाहिए और ऐसे दुकानदारों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।
मैनें तो आगे शिकायत कर दी है अब आपकी बारी है!

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