| Teelu Rauteli (c) Yash Rawat |
तीलू रौतेली का संक्षिप्त परिचय
7 वर्षों तक लगातार युद्ध लड़ने वाली और अजेय रहने वाली बीरबाला तीलू रौतेली उत्तराखंड का गौरव है जिसने पूरे गढ़वाल क्षेत्र को न केवल शत्रों के अत्यचारों से मुक्त कराया अपितु उसे सशक्त भी बनाया किन्तु तीलू रौतेली की यह गौरव गाथा उत्तराखंड की गहरी घाटियों से बाहर निकलने में पूर्ण रुप से सफल नहीं हो पायी है, उत्तराखंड के अनेक या यूं कहें कि उसके अपने क्षेत्र के लोग भी उसके बलिदान के बारे में संपूर्ण जानकारी नहीं रखते हैं।
चौंदकोट, गढ़वाल के थोकदार भुप्पू गोर्ला का विवाह मैणा देवी से हुआ, उनके दो जुड़वा पुत्र भगतू और पतवा थे और उनकी एक बेटी थी जिसका नाम तिलोतम देवी था, जिसे बाद में तीलू रौतेली के नाम से जाना गया, माना जाता है कि तीलू का जन्म 8 अगस्त 1661 हुआ था, तीलू का बचपन बीरोंखाल ब्लॉक के कांडा गांव में बीता, जहां उसने अपने गुरु शिब्बू पोखरियाल से घुड़सवारी, तलवार बाजी तथा युद्ध कला सीखी। बचपन से ही उसके पास एक काले रंग की घोड़ी थी जिसका नाम ‘बिन्दुली’ था।
अपने पिता व भाईयों तथा अन्य प्रियजनों की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए तीलू को 15 वर्ष की उम्र में रणभूमि में उतरना पड़ा। निरंतर 7 वर्षों तक युद्ध लड़ते हुए मात्र 22 वर्ष की आयु में वीरगति को प्राप्त होने वाली तीलू रौतेली का शौर्यपूर्ण इतिहास आज गढ़वाली लोक साहित्य की गौरवशाली वीरगाथा का रूप धारण कर चुका है।
यह कहानी तीलू रौतेली, देवकी और बेला के 7 वर्षों के संघर्षों, पीड़ाओं, अदम्य साहस, वीरता, अपनी मात्रृभूमि को शत्रुओं से स्वतंत्र कराने की महत्वकांक्षा तथा एक दूसरे से बिछुड़ने पर आधारित है।
इतिहास साक्षी है कि महिलाओं को जब भी अवसर मिला है उन्होंने अपनी क्षमता एवम जौहर का प्रदर्शन करते हुए साबित किया है कि वे पुरुषों से लेशमात्र भी कम नहीं हैं। तीलू रौतेली की कहानी भी इसी का उदाहरण है।
200 शब्दों की इस कहानी को मैंने 40000 शब्दों में वर्णित किया है, जिसमें घटनाओं को बहुत रोचक ढंग से गड़ा गया है, जिसमें तीलू की अधूरी प्रेम-कहानी और युद्ध का चित्रण बहुत रचनात्मक ढंग से किया गया है।
दोस्तो अभी यह पुस्तक को अमेज़न, फ्लिपकार्ट आदि प्लेटफार्म पर खरीद जा सकता है।
अब धीरे धीरे तीलू रौतेली को पहचान मिलनी शुरू हो गयी है। गढ़वाल के द्वार कोटद्वार के प्रशिद्ध चौक का नाम नाज़िमाबाद चौक से बदलकर तीलू रौतेली चौक कर दिया गया है।
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2 टिप्पणियाँ
बहुत अच्छी ऐतिहासिक जानकारी मिली वीरांगना तीलू रोतेली के बारे में,,,,बहुत बड़ी प्रेरणा मिलती है लेकिन अफसोस आज ऐसे देशभक्ति के लिए समर्पित व्यक्ति मिलना बड़ा ही दुष्कर काम है,,,
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने। पहाड़ को ऐसी महिलाओं की बहुत आवश्यकता है।
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