यकुलांस (अकेलापन) - देवभूमि का सच

 

यकुलांस एक 28 मिनट की डॉक्‍यूमेंट्री फिल्‍म नहीं है यह देवभूमि उत्‍तराखंड के पलायन और भुतहा होते मकानों, गांवों का सच है।

यकुलांस का मतलब होता है अकेलापन और उत्‍तराखंड इसका जीता जागता उदाहरण है, यहां आपको बड़े-बड़े मकान तो दिखेंगे लेकिन उनमें मनुष्‍य नहीं, बड़े-बड़े आंगन (चौक) दिखेंगे लेकिन उनमें बड़ी मेहनत और कारीगरी से बिछाये गये पत्‍थर नहीं दिखेंगे क्‍योंकि वह अब आंगन न रहा वहां घास-पात, हिंसोले, किनगोड़े के कांटे उग आये हैं।

फिल्‍म की लोकेशन बेहद सुंदर हैं जिनके माध्‍यम से हमें यह दिखाने की कोशिश की गयी है कि हम कहां से हैं और कहां रह रहे हैं।

डॉक्‍यूमेंट्री अपने उद्देश्‍य को पूरी तरह साबित करती हुई नजर आती है इसलिए इसे जरुर देखें और ध्‍यान से देखें।

आकड़ें क्‍या कहते हैं

पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 3,946 गांव से लगभग 1,18,981 लोगों ने स्थाई रूप से पलायन कर लिया है। यहां लगभग आधे घर खंडहर हैं। वहीं 6338 गांव के तकरीबन 383726 लोग अस्थाई रूप से काम-धंधे और पढ़ाई-लिखाई के लिए राज्य छोड़ने को मजबूर हुए।

सबसे ज्यादा पलायन पौड़ी, टिहरी और उत्तरकाशी जिलों में हुआ है।

आयोग ने 13 जिलों की 7950 ग्राम पंचायतों में सर्वे कराया था। इसके बाद पलायन पर रिपोर्ट तैयार हुई। रिपोर्ट के अनुसार 50% लोगों ने रोजगार, 15% ने शिक्षा के लिए और 8% ने चिकित्सा के लिए पलायन किया है। राज्य के 734 गांव पूरी तरह खाली हो चुके हैं। पलायन करने वालों में 70% लोग गांवों से गए तो वहीं 29% ने शहरों से पलायन किया है।

उत्‍तराखंड के पारंपरिक पहनावे और आभूषण 

गुलोबंद

बेरोजगारी बड़ी वजह

उत्तराखंड के 13 जिलों में 5,31,174 पुरुष और 3,38,588 महिला बेरोजगार रजिस्टर्ड हैं। इनमें ग्रैजुएट पुरुष बेरोजगार 1,08,248 और महिला ग्रैजुएट 1,11,521 हैं। जाने वालों में 42 फीसदी लोगों की उम्र 26 और 35 वर्ष की है। 25 साल से कम आयु के 28 फीसदी लोग गए हैं। यानी 70 फीसदी युवा राज्य से चले गए।

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1 टिप्पणियाँ

  1. अति सुन्दर
    जहाँ तक पलायन का प्रश्न है उसके लिए सरकार और जनता दोनों ही जिम्मेदार है

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